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lady finger farming

ऐसे उगाएंगे भिंडी या लेडी फिंगर, तो रुपया गिनते-गिनते थक जाएंगी फिंगर्स !

ऐसे उगाएंगे भिंडी या लेडी फिंगर, तो रुपया गिनते-गिनते थक जाएंगी फिंगर्स !

मार्केट हो या फिर भोजन की थाली, ऑल सीजन फेवरिट वेजिटेबल की यदि बात करें, तो लेडी फिंगर (lady finger) यानी भिंडी इस मामले में खास मुकाम रखती है। भिंडी या लेडी फिंगर उगाने की एक खास विधि ऐसी है जिसे अपनाकर, भिंडी की बंपर पैदावार से होने वाली कमाई को गिनते-गिनते किसान की फिंगर्स दर्द कर सकती हैं। यह विधि ऐसी है, जिससे भिंडी की खेती करने वाले किसानों को जबरदस्त मुनाफा हो रहा है। पारंपरिक एवं आधुनिक खेती के संतुलित सम्मिश्रण के कारण किसानों की इनकम में भी सुधार हुआ है। जैविक खाद, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह, मशीनों की मदद, बाजार की सुलभता के कारण किसानों (Farmers) को अब पहले के मुकाबले ज्यादा लाभ मिल पा रहा है।

यूपी की मिसाल

यूपी यानी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हरदोई जिले में ताजातरीन वैज्ञानिक विधि को अपनाने से भिंडी की खेती में बेहतरीन पैदावार देखने को मिली है।

उद्यान विभाग का रोल

यहां उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को कृषि गुणवत्ता वाली विधियों को अपनाकर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।



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जिले के किसानों के अनुसार, गेहूं और धान की खेती की बहुतायत वाले क्षेत्र में किसान अब मुख्य फसलों के साथ ही सब्जी की खेती के लिए भी उन्मुख हो रहे हैं। इसका कारण मुख्य फसल को लगाने, देखभाल करने, पकने और फिर बाजार में बेचने में लगने वाला अधिक समय है। इंतजार लंबा होने के कारण किसान अब कम समय में सब्जी की अच्छी पैदावार से ज्यादा पैसा कमाने का मन बना रहे हैं। दीर्घकालिक फसलों पर कभी कम बारिश, कभी तेज आंधी-पानी और ओलावृष्टि से आने वाले संकट के कारण किसानों ने अपने खेत के कुछ हिस्से में वैकल्पिक खेती के तौर पर सब्जी उगाने का निर्णय किया है। किसानों के अनुसार इस फैसले से उनको 3 लाख रुपए का मुनाफा भी अर्जित हुआ। किसानों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित एक कृषि मेले में उन्हें भिंडी की खेती और उसके बीजों के विषय में विस्तृत जानकारी मिली थी। इस जानकारी ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वे भिंडी की खेती करने के लिए और ज्यादा जानकारी जुटाने लगे।



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कृषि विभाग स्थित कृषि विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने इन किसानों की जिज्ञासाओं का न केवल समाधान किया, बल्कि खेत का मुआयना भी किया। मिट्टी की जांच कराने के बाद किसानों को कृषि विभाग ने भिंडी लगाने, उसकी देखभाल करने के साथ ही उम्मीद के अनुसार पैदावार करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं।

3 लाख की बचत

इलाके के किसान श्रीकृष्ण ने प्रेरित होकर बतौर ट्रायल पहले अपने 1 एकड़ खेत में भिंडी की खेती शुरू की थी। उनके अनुसार इस भिंडी की पैदावार से उन्हें लगभग तीन लाख रुपयों की बचत हुई। इस सफलता के बाद श्रीकृष्ण ने धीरे-धीरे अपने पूरे खेत में भिंडी की खेती करनी शुरू कर दी। अपने अनुभव से वे बताते हैं कि भिंडी की यदि वैज्ञानिकों बताए गए तरीके से खेती की जाए तो 1 एकड़ से लगभग 5 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

कमाई का सूत्र

जिले के सहायक उद्यान निरीक्षक ने ड्रिप इरीगेशन विधि को भिंडी की सेहत के लिए अति महत्वपूर्ण बताया है। उनके मुताबिक सब्जियों की इस तरह से सिंचाई से मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है।



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यहां किसान ऊंची क्यारियां बनाकर भिंडी की खेती करते हैं। ऐसा करने से वर्षा काल में यह क्यारियां खरपतवार और जलभराव से पौधों की रक्षा करती हैं। इससे भिंडी की अच्छी पैदावार होती है।

प्रेरित हो रहे किसान

श्रीकृष्ण को हुए लाभ से प्रभावित होकर जिले के अन्य किसान भी अब बड़ी संख्या में भिंडी की खेती के लिए आगे आए हैं।

उत्पादन का गणित

भिंडी की खेती से जुड़े अनुभवी किसानों के अनुसार 1 एकड़ भूमि पर करीब 45 से 50 दिनों में लगभग 50 क्विंटल भिंडी की पैदावार हो जाती है। जिले में सब्जियों की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी के साथ-साथ सरकारी मदद भी दी जाती है। इससे किसान, वैज्ञानिक विधि से सब्जी की खेती करके अपनी आय में न केवल सुधार कर रहे हैं, बल्कि उनकी आमदनी की सफलता दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बन रही है।
भिंडी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

भिंडी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

सब्जियों में भिंडी का प्रमुख स्थान है। ये सब्जी बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है। इसको लोग लेडी फिंगर या ओकारा के नाम से भी जानते हैं। 

भिंडी में मुख्य रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों जैसे कैल्शियम, फास्फोरस के अतिरिक्त विटामिन 'ए', बी, 'सी', थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है। इसमें विटामिन ए तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। 

भिंडी के फल में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है तथा भिंडी की सब्जी कब्ज रोगी के लिए विशेष गुणकारी होती है। भिंडी को कई तरह से बनाया जाता है जैसे सूखी भिंडी, आलू के साथ, प्याज के साथ इत्यादि | 

भिंडी को किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। भिंडी की खेती पूरे देश में की जाती है। विश्व में भारत का भिंडी उत्पादन में पहला स्थान है।

भिंडी के लिए खेत की तैयारी:

भिंडी को लगाने के लिए खेत को हैरो से कम से कम दो बार गहरी जुताई करके पाटा लगा देना चाहिए जिससे की खेत समतल हो जाये। 

इसके बाद उसमे गोबर की बनी हुई खाद डाल के मिला देना चाहिए. खेत की मिट्टी भुरभुरी और पर्याप्त नमी वाली होनी चाहिए।

खेती के लिए मौसम:

भिंडी की खेती के लिए उपयुक्त तापमान 17 से 25 डिग्री के बीच होना चाहिए। ये इसके बीज को अंकुरित करने के लिए बहुत अच्छा होता है. हालाँकि इससे ज्यादा तापमान पर भी बीज अंकुरित होता है। 

लेकिन 17 डिग्री से नीचे का तापमान होने पर बीज अंकुरित होने में दिक्कत होती है। भिंडी के लिए थोड़ा गर्म और नमी वाला मौसम ज्यादा सही रहता है। ठन्डे तापमान पर भिंडी को नहीं उगाया जा सकता है।

भिंडी की बुवाई का समय:

भिंडी को साल में दो बार उगाया जाता है - फरवरी-मार्च तथा जून-जुलाई में। अगर आपको भिंडी की फसल को व्यावसायिक रूप देना है तो आप इस तरह से इसको लगाएं की हर तीसरे सप्ताह में आप भिंडी लगाते रहें। 

ये प्रक्रिया आप फ़रवरी से जुलाई या अगस्त तक कर सकते हैं इससे आपको एक अंतराल के बाद भिंडी की फसल मिलती रहेगी। 

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भिंडी का बीज कितने दिन में अंकुरित होता है:

जब आप भिंडी को खेत में पर्याप्त नमी के साथ लगाते हैं तो इस बीज को अंकुरित होने में 7 से 10 दिन का समय लगता है। इसका समय कम या ज्यादा मौसम, बीज की गुणवत्ता ,जमीन उपजाऊ शक्ति, बीज की गहराई आदि पर निर्भर करता है। भिंडी का बीज

भिंडी की अगेती खेती कैसे करें:

गर्मी में भिंडी की बुवाई कतारों में करनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 40-50 सेमी एवं कतार में पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेमी रखनी चाहिए जिससे कि पौधे को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। 

बीज की 2 से 3 सेमी गहरी बुआई करें। बुवाई से पहले बीजों को 3 ग्राम मेन्कोजेब कार्बेन्डाजिम प्रति किलो के हिसाब से उपचारित करना चाहिए।

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भिंडी की उन्नत किस्में:

  1. पूसा ए-4: यह भिंडी की अच्छी एवं एक उन्नत किस्म है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह प्रजाति 1995 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान , नई दिल्ली ( पूसा) द्वारा निकाली गई है। यह एफिड तथा जैसिड के प्रति सहनशील है। एफिड (माहु) एक छोटे आकर का कीट होता है ये कीड़े पत्तियों का रस चूसते हैं। 
  2. जेसिड (हरा मच्छर/फुदका) लक्षण: इस कीट के निम्फ (शिशु कीट) और प्रौढ़ (बड़ा कीट) दोनों ही अवस्था फसल को क्षति पहुँचाते हैं। यह कीट पौधों के कोमल तनों, पत्ती एवं पुष्प भागों से रस चूसकर पौधों का विकास रोक देते हैं। यह पीतरोग यैलो वेन मोजैक विषाणु रोधी है। फल मध्यम आकार के गहरे, कम लस वाले, 12-15 सेमी लंबे तथा आकर्षक होते हैं। बोने के लगभग 15 दिन बाद से फल आना शुरू हो जाते है तथा पहली तुड़ाई 45 दिनों बाद शुरु हो जाती है। इसकी औसत पैदावार ग्रीष्म में 10 टन व खरीफ में 12 टन प्रति एकड़ है।
  3. परभानी क्रान्ति: यह प्रजाति 1985 में मराठवाड़ाई कृषि विश्वविद्यालय, परभनी द्वारा निकाली गई है। इसमें ५० दिन में फल आना शुरू हो जाता है।
  4. पंजाब-7: यह प्रजाति पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा निकाली गई है।
  5. अर्का अभय: यह प्रजाति भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा निकाली गई हैं।
  6. अर्का अनामिका: यह प्रजाति भी भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा निकाली गई हैं।
  7. वर्षा उपहार: जैसा नाम से विदित हो रहा है ये प्रजाति वर्षा ऋतू में सर्वाधिक उत्पादन देती है तथा इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है।
  8. हिसार उन्नत: इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है।
  9. वी.आर.ओ.-6: यह प्रजाति भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान,वाराणसी द्वारा 2003 में निकाली गई हैं। इसको काशी प्रगति के नाम से भी जाना जाता है।

भिंडी बीज की जानकारी:

सिंचित अवस्था में 2.5 से 3 किग्रा तथा असिंचित अवस्था में 5-7 किग्रा प्रति हेक्टेअर की आवश्यकता होती है। संकर किस्मों के लिए 5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की बीजदर पर्याप्त होती है। 

भिंडी के बीज सीधे खेत में ही बोये जाते हैं। बीज बोने से पहले खेत को तैयार करने के लिये 2-3 बार जुताई करनी चाहिए।

किसान भाई लाल भिंडी के औषधीय गुणों की वजह से इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं

किसान भाई लाल भिंडी के औषधीय गुणों की वजह से इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं

कृषक भाई लाल भिंडी की खेती कर बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। इसका फायदा औषधियों में भी किया जाता है। भिंडी की सब्जी का स्वाद अधिकतर लोगों को काफी भाता है। 

परंतु, वर्तमान में किसान भाई हरी भिंडी के स्थान पर लाल भिंडी की खेती कर बेहतरीन मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। एक एकड़ भूमि में लाल भिंडी 40 से लेकर 45 दिन में पकने लग जाती है, जो 40 से लेकर 45 क्विंटल तक पैदावार देती है। इस भिंडी का स्वाद भी सामान्य भिंडी से बेहद अच्छा होता है। 

आगे इस लेख में हम बात करेंगे लाल भिंडी के कुछ मुख्य गुणों के बारे में। साथ ही, किसान भाई इससे हरी भिंडी की तुलना में कितना मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। हरी भिंडी के मुकाबले में लाल भिंडी काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। 

साथ ही, इसकी फसल आम भिंडी की अपेक्षा में शीघ्रता से खड़ी हो जाती है। लाल भिंडी की फसल से मोटी आमदनी करने के लिए इस प्रकार फसल की बिजाई करें। 

बतादें, कि लागत एवं कमाई लाल भिंडी के औषधीय गुणों की वजह से बड़े-बड़े शहरों में इसकी मांग बनी रहती है। लाल भिंडी के एक किलो बीज 2400 रुपये तक की कीमत में मिलते हैं, जो आधा एकड़ भूमि में बोया जा सकता है। 

लाल भिंडी की तुलना में हरी भिंडी की कीमत पांच से सात गुना ज्यादा होती है। 250 से 300 ग्राम लाल भिंडी का भाव 300-400 रुपये तक होता है। परंतु, हरी भिंडी 40 से 60 रुपये प्रति किलो बेची जाती है।

लाल भिंडी में अद्भुत गुण क्या-क्या हैं

  • लाल भिंडी की एक खासियत यह है कि वह हरी भिंडी से ज्यादा जल्दी पककर तैयार होते हैं।
  • लाल भिंडी भोजन का जायका और स्वाद बढ़ाता है तथा औषधियों में भी उपयोग होता है।
  • लाल भिंडी की फसल में कीड़े एवं बीमारियां लगने की काफी कम संभावना होती है, इस वजह से कीटनाशकों का खर्चा भी कम होता है।
  • एक एकड़ जमीन में 40 से 45 दिन में लाल भिंडी पकने लगती हैं, जो 40 से 45 क्विंटल उपज देती है।
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लाल भिंडी शुगर लेवल को नियंत्रण में रखती है

जानकारों का कहना है, कि स्वाद में यह हरी भिंडी के जैसी ही होती है। इसमें हरा, काला, लाल सभी तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस भिंडी में अलग से एक जीन डालने की वजह से इसका रंग लाल हो गया। 

बतादें, कि इसमें क्रूड फाइबर होता है, जिससे शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है। इस सब्जी के अंदर बीकम्पलेक्स भी भरपूर मात्रा में होती है।

मई में भिंडी की फसल उगाकर किसान बेहतरीन आय कर सकते हैं

मई में भिंडी की फसल उगाकर किसान बेहतरीन आय कर सकते हैं

खरीफ फसल चक्र के दौरान किसान अनाज और बागवानी फसलों की खेती की तैयारियां कर रहे हैं। बहुत सारे बागों और सब्जियों की खेती के लिये हर तरह की तैयारी हो चुकी है। 

बहुत सारे किसान इस मौसम में भिंडी की फसल भी लगा रहे हैं। भिंडी की फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिये आवश्यक है, कि उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव, अच्छी सिंचाई व्यवस्था, खाद-उर्वरकों का उपयोग और फसल की देखभाल ठीक तरह से की जाये। 

इन समस्त कार्यों के साथ भिंडी की खेती के लिये उस तकनीक का उपयोग करें, जिससे कम लागत में ही ज्यादा उत्पादन लिया जा सके।

भिंडी की फसल के लिए खेत की तैयारी ?

भिंडी की खेती गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम में की जाती है। इसलिए जल निकासी वाली दोमट मृदा का चयन करें। सबसे पहले खेत में गहरी जुताई का काम कर लें। 

दो-तीन जुताई के बाद मिट्टी को पाटा लगाकर समतल कर लें। इसके बाद खेत में गोबर की कंपोस्ट खाद डालकर मिट्टी को पोषण प्रदान करें।

किसान भाई भिंडी की बुवाई कैसे करें ?

किसी भी फसल के अच्छी उपज के लिए बीज की अहम भूमिका होती है। इसलिए किसान भाई भिंडी की बुवाई के लिए उन्नत किस्म के बीजों का ही चयन करें और बीजोपचार का कार्य भी करें। 

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बुवाई के दौरान कतार से कतार की दूरी कम से कम 40 से 45 सेमी. तक ही रखें। यदि खेत उपजाऊ और सिंचित है तो एक हैक्टेयर भूमि के लिये 2.5 से 3 किग्रा. बीजदर और असिंचित भूमि में 5 से 7 किग्रा बीजों के साथ बुवाई का कार्य करें। 

भिंडी की खेती के लिये नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसलिए बीजों को सीधा खेतों में बोयें और हल्की सिंचाई का कार्य करें।

भिंडी की खेती मृदा पोषण प्रबंधन

किसान भाई बेहतरीन पैदावार के लिए फसल और मिट्टी को समयोचित पोषण प्रदान करने का कार्य करें। भिंडी की फसल में पोषण प्रबंधन करने के लिये एक हैक्टेयर खेत में 15-20 टन गोबर की खाद और 80 किग्रा. नाइट्रोजन के साथ 60 किग्रा. पोटाश को मिलाकर खेत में डालें। 

विशेष ध्यान रखें कि नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई से पहले और आधी मात्रा 40 दिन पश्चात खेतों में डालनी चाहिये।

भिंडी में सिंचाई और खरपतवार प्रबंधन

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आमतौर पर भिंडी वर्षा आधारित फसल है, इसमें अलग से सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती। 

फसल को पोषण और मिट्टी में नमी प्रदान करने के लिये बुवाई के 10-12 दिन बाद सिंचाई जरूर करें। भिंडी की बुवाई के 10-15 दिनों बाद खेतों में खरपतावार उग आते हैं, जो भिंडी के पौधों को बढ़ने से रोकते हैं। 

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इसके लिये समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें। खेतों में उगने वाले अनावश्यक पौधे और खरपतवारों को उखाड़कर जमीन में गाड़ देना चाहिये। कीट और बीमारियों की निगरानी करते रहें और इनकी रोकथाम के लिये जैविक कीटनाशकों का ही उपयोग करें।

भिंडी की खेती में आने वाला खर्चा और आय कितनी है ?

सामान्यतः भिंडी की खेती उत्तरप्रदेश, असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश, गुजरात और पंजाब में की जाती है। यहां के किसान चाहें तो 1 लाख रुपये की लागत के साथ भिंडी की फसल लगाकर 5 लाख रुपये की आय कर सकते हैं। इसकी खेती से किसान को 3-4 लाख तक शुद्ध लाभ मिल जाता है।

किसान नवीन तकनीक से उत्पादन कर आलू, मूली और भिंडी से कमाएं बेहतरीन मुनाफा

किसान नवीन तकनीक से उत्पादन कर आलू, मूली और भिंडी से कमाएं बेहतरीन मुनाफा

फिलहाल मंडी में आलू, भिंडी एवं मूली का समुचित भाव प्राप्त करने के लिए काफी मशक्क्त करनी होती है। अगर किसान नई तकनीक और तरीकों से कृषि करते हैं, तो वह अपनी पैदावार को अन्य देशों में भी भेज करके बेहतरीन मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। वर्तमान दौर में खेती-किसानी ने आधुनिकता की ओर रुख कर लिया है, जिसकी वजह से किसान अपने उत्पादन से मोटी आमदनी भी करते हैं। किसानों को यह बात समझने की बहुत जरूरत है, कि पारंपरिक तौर पर उत्पादन करने की जगह किसान विज्ञान व वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार खेती करें। क्योंकि किसानों की इस पहल से वह कम खर्च करके अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं, साथ ही, किसानों को नवाचार की अत्यंत आवश्यकता है। अगर न्यूनतम समयावधि के अंतर्गत किसान कृषि जगत में प्रसिद्धि एवं धन अर्जित करना चाहते हैं तो किसानों को बेहद जरूरत है कि वह नवीन रूप से कृषि की दिशा में अग्रसर हों। किसान उन फसलों का उत्पादन करें जो कि बाजार में अपनी मांग रखते हैं साथ ही उनसे अच्छा लाभ भी मिल सके। किसान हरी भिंडी की जगह लाल भिंडी, सफेद मूली के स्थान पर लाल मूली एवं पीले आलू की बजाय नीले आलू का उत्पादन करके किसान अपना खुद का बाजार स्थापित कर सकते हैं। इस बहुरंगी कृषि से किसान बेहद मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी वजह यह है, कि इन रंग बिरंगी सब्जियों की मांग बाजार में बहुत ज्यादा रहती है। परंतु फिलहाल भारत में भी सब्जियां केवल खाद्यान का माध्यम नहीं है, वर्तमान में इनकी बढ़ती मांग से किसान सब्जियों को विक्रय कर बहुत मोटा लाभ कमा सकते हैं। इसके अतिरिक्त भी लाल भिंडी में कैल्शियम, जिंक एवं आयरन जैसे तत्व प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे बहुत सारे गुणों से युक्त होने की वजह से बाजार में इस भिंडी का भाव 500 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से अर्जित होता है। यह साधारण सी फसल आपको बेहतरीन मुनाफा प्रदान कर सकती है।
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नीले आलू के उत्पादन से कमाएं मुनाफा

हम सब इस बात से भली भांति परिचित हैं, कि आलू की फसल को सब्जियों का राजा कहा जाता है। इसलिए आलू प्रत्येक रसोई में पाया जाता है, आजतक आपने सफेद या पीले रंग के बारे में सुना होगा और खाए भी होंगे। परंतु फिलहाल बाजार में आपको नीले रंग का आलू भी देखने को मिल जायेगा, बहुत सारे पोषक तत्वों से युक्त है। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, मेरठ के वैज्ञानिकों ने नीले रंग के आलू की स्वदेशी किस्म को विकसित कर दिया है। इस किस्म को कुफरी नीलकंठ के नाम से जाना जाता है, इस आलू में एंथोसाइनिल एवं एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं। एक हैक्टेयर में नीले आलू की बुवाई करने के उपरांत किसान 90 से 100 दिन की समयावधि में तकरीबन 400 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नीला आलू दोगुने भाव में विक्रय हो बिकता है, इस अनोखी सब्जी के उत्पादन से पूर्व मृदा परीक्षण करके कृषि वैज्ञानिकों से सलाह-जानकारी ले सकते हैं।

लाल मूली के उत्पादन से होगा लाभ

मूली एक ऐसी फसल है,जो कि सभी को बहुत पसंद आती है। मूली का उपयोग घर से लेकर ढाबे तक सलाद के रूप में किया जाता है। परंतु वर्तमान दौर में अन्य सब्जियों की भाँति मूली का रंग भी परिवर्तित हो गया है। आपको बतादें कि आजकल बाजार में लाल रंग की मूली भी उपलब्ध है। लाल रंग की मूली का उत्पादन सर्दियों के दिनों में किया जाता है। जल-निकासी हेतु अनुकूल बलुई-दोमट मिट्टी लाल मूली के उत्पादन हेतु सबसे बेहतरीन मानी जाती है। किसान नर्सरी में भी लाल मूली की पौध को तैयार कर इससे अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। मूली कतारों में उत्पादित की जाती है। इसकी 40 से 60 दिनों के अंदर किसान कटाई कर सकते हैं, जिससे 54 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है। साधारण-सफेद मूली का बाजार में भाव 50 रुपये प्रति किलोग्राम होता है। परंतु देश-विदेश में लाल रंग की मूली का भाव 500 से 800 रुपये किलोग्राम है।